कृषि
संघ शासित प्रदेश चंडीगढ़ का कृषि की दृष्टि से अत्यंत सीमित क्षेत्र है। शहर के विस्तार के लिए कृषि भूमि को धीरे-धीरे अधिग्रहित किया जा रहा है। वर्ष 1966 में कृषि क्षेत्र 5441 हेक्टेयर से कम होकर वर्ष 2005-06 में 13009 हेक्टेयर रह गया है। 880 किसान परिवार इस क्षेत्र में खेती कर रहे हैं।
खेती की जाने वाली 1300 हेक्टेरयर भूमि में से 1285 हेक्टेरयर भूमि सिंचित है। सिंचाई का प्रमुख स्रोत चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा लगाए गए गहरे ट्यूबवेल और किसानों द्वारा व्यक्तिगत रूप से लगाए गए कम गहरे ट्यूबवेल हैं। संघ शासित प्रदेश चंडीगढ़ के किसान बड़ी संख्या में दुधारू पशु रखते हैं और इन पशुओं के भोजन की मांग को पूरा करने के लिए वे चारा उगाते हैं। इससे खाद्य फसलों की खेती के लिए जमीन कम हो रही है। यहां का मुख्य खाद्यान्न गेहूं है और इसे लगभग 600 हेक्टेयर भूमि में उगाया जाता है, जबकि पशुओं को दिया जाने वाला चारा दोनों ही मौसमों में लगभग 1000 हेक्टेयर भूमि में उगाया जाता है। चंडीगढ़ प्रशासन किसानों को निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है :
- कीटनाशकों, उर्वरकों, बीजों एवं कृषि उपस्करों को समय पर उपलब्ध कराना
- किसानों के लिए अध्ययन दौरे/ शिविर आयोजित करना
- सजावटी पादप, फूल/फल पौधे, बीज एवं सब्जियों के पौधे किफायती दामों पर उपलब्ध करवाना
किसान प्रशिक्षण अध्ययन दौरों का आयोजन
यह योजना सातवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान शहर के किसानों को नवीनतम एवं उन्नत कृषि तकनीकों से परिचित कराने के लिए प्रारंभ की गई और यह योजना अत्यंत लाभकारी साबित हुई है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना तथा अन्य राज्यों के प्रतिष्ठित कृषि संस्थानों में कृषि क्रियाकलापों की जानकारी प्रदान करने के लिए दौरे करवाए गए। अध्ययन दौरे के लिए किसानों के चयन हेतु संबंधित गांव के गुरुद्वारे से घोषणाएं करवाई जाती हैं और संबंधित गांव की ग्राम पंचायत को भी इसकी जानकारी दी जाती है, जिससे कि कोई भी किसान उपलब्ध करवाए जा रहे इस अवसर को खो न दे। भविष्य में अध्ययन दौरों के लिए यह योजना बनाई गई है कि इच्छुक किसान ग्राम पंचायत में ₹100 जमा कराएं, ताकि केवल वही किसान इस सुविधा का लाभ प्राप्त कर सकें जो वाकई इस सुविधा का लाभ उठाना चाहते हों। किसानों द्वारा जमा कराई गई राशि उन्हें अध्ययन दौरे के दौरान वापस कर दी जाएगी।
बीजों की जैविक खेती एवं बागवानी
पंजाब एवं हरियाणा राज्य की राजधानी एवं संघ शासित प्रदेश होने के कारण चंडीगढ़ एक प्रगतिशील एवं विकासशील शहर है। फलों एवं सब्जियों की आपूर्ति के लिए शहर बाहरी राज्यों पर निर्भर है और यह व्यवस्था स्थाएयी नहीं है। शहर की आबादी के लिए फलों एवं सब्जियों की आपूर्ति करने के लिए शहर के गांवों को अंतर क्षेत्र के रूप में विकसित और परिवर्तित किया जाना प्रस्तावित है तथा साथ ही घरों के आगे व पीछे खाली पड़ी भूमि को फल एवं सब्जियां उगाए जाने के लिए उपयोग किया जाना भी प्रस्तावित है। उपर्युक्त आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विभाग ने प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण लोगों को फल, सब्जियों, फूलों व सजावटी पौधों के बीज व पौध उपलब्ध करवाने के लिए लेक क्लब के पास एक नर्सरी स्थापित की है। विभाग की योजना है कि ग्रामीण एवं शहरी लोगों को इस नर्सरी के माध्यम से बड़ी संख्या में बीज एवं पौधे उपलब्ध करवाए जाएं। लेक क्लब के पास नर्सरी की स्थापना लोगों को सस्ते दामों पर उच्च गुणवत्ता के बीज एवं पौधे उपलब्ध करवाने के लिए की गई है। पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालने वाले रसायनों के प्रयोग से होने वाली पर्यावरणीय समस्याओं के स्थानीय, राष्ट्रीय व वैश्विक परिणाम सामने आते हैं तथा पर्यावरण की रक्षा एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना प्रत्येक व्यक्ति का प्राथमिक दायित्व है। चूंकि हम सभी पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं और यह पर्यावरण हमारे जीवन के प्रत्येक भाग को प्रभावित करता है इसलिए पर्यावरण में सुधार के लिए अधिक से अधिक पौधों को लगाया जाना अत्यंत आवश्यक है। बेहतर पर्यावरण एवं तकनीकी मार्गदर्शन के लिए किचन गार्डन नर्सरी को बड़े स्तर पर अपनाया जाना आवश्यक है और साथ ही सजावटी फूल, सब्जी एवं फल पौध और कीटनाशक आदि सस्ते दामों पर उपलब्ध करवाया जाना भी जरूरी है। इस योजना का लक्ष्य शहरवासियों को बेहतर पर्यावरण प्रदान करना है। लेक के पास स्थापित की गई नर्सरी से बीज/पौधे खरीदे जा सकते हैं और साथ ही वहां उपस्थित विशेषज्ञ लोगों से तकनीकी जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है। प्रत्येक नागरिक विभाग द्वारा निर्धारित किफायती दामों पर उपर्युक्त सुविधाएं प्राप्त कर सकता है। नर्सरी में प्रातः 9:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक लोगों की समस्याएं जानने और विशिष्ट जानकारी प्रदान करने के लिए तकनीकी कर्मचारी उपलब्ध रहते हैं। तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। पौधों की दर सूची विक्रय काउंटर पर डिस्प्ले की गई है तथा इन दरों में समय-समय पर संशोधन किया जाता है।
25% की छूट पर गेहूं एवं चारे के बीजों की आपूर्ति
क्योंकि शहर में अधिकांश किसान लघु एवं सीमांत स्तनर के हैं, इसलिए उच्च पैदावार वाले बीजों को कम मात्रा में खरीदा जाना उनके लिए लाभकारी नहीं होता और उन्हें इसमें अनेक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है, इसलिए यह प्रस्तावित है कि नवीनतम किस्म के गेहूं के बीजों को प्रशासन द्वारा खरीदा जाए तथा उन्हें 25% की छूट पर किसानों को बेचा जाए, जिससे कि किसानों में उच्च पैदावार वाले बीज लोकप्रिय हो सकें और उन्हें फसल की अधिकतम पैदावार प्राप्त हो सके। संघ शासित प्रदेश चंडीगढ़ में शहर के विकास के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा भूमि के अधिग्रहण के कारण कृषि योग्य भूमि निरंतर कम हो रही है। संघ शासित प्रदेश चंडीगढ़ के किसान अधिक संख्या में दुधारू पशु रखते हैं तथा उनके भोजन की मांग की पूर्ति के लिए वह चारा उगाने लग गए हैं। अतः अन्य फसलों की खेती के लिए भूमि कम हो गई है तथा किसान चारे की बेहतर पैदावार के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की मांग कर रहे हैं, जिससे कि वह चारे की मांग को कुछ सीमा तक पूरा कर सकें क्योंकि शहर में कृषि योग्य भूमि पशुओं के चारे की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग संघ शासित प्रदेश चंडीगढ़ के किसानों को 25% छूट पर बीज उपलब्ध करवा रहा है। गेहूं/चारे के बीज प्राप्त करने के इच्छुक किसानों को सादे कागज पर संघ शासित प्रदेश के संबंधित गांव की ग्राम पंचायत की विधिवत् संस्तुति प्राप्त करके जिला कृषि अधिकारी को आवेदन करना होता है तथा साथ में संबंधित बीज के लिए 75% राशि कृषि विभाग के सब-इंस्पेक्टर के पास जमा करवानी होती है।
कीटनाशकों के विक्रय एवं भंडारण आदि के लिए कीटनाशक लाइसेंस प्रदान करना
घरेलू कीटों की रोकथाम के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशकों के बाजार में आने से अनेक कंपनियों ने विभिन्न नामों से कीटनाशकों को बेचना प्रारंभ किया है, जिसके लिए अधिनियम के अंतर्गत कृषि विभाग को लाइसेंस जारी करना होता है। इस संबंध में आवेदन प्राप्त होने के 7 दिन के भीतर विभाग को कीटनाशकों के विक्रय, भंडारण एवं विक्रय अथवा संवितरण के लिए नया लाइसेंस जारी करना अथवा पुराने लाइसेंस का नवीकरण करना होता है। इस संबंध में लाइसेंस प्रदान करने अथवा लाइसेंस के नवीकरण के लिए फॉर्म सं। 6 अथवा 7 में, जैसा भी मामला हो, आवेदन करना होता है और इसके साथ निर्माता का सिद्धांतिक पत्र, गुणवत्ता नियंत्रण शपथ पत्र एवं निर्माण संबंधी लाइसेंस लगाना होता है।
आवेदक को यह भी घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होता है कि वह कीटनाशक अधिनियम, 1968 की निबंधन एवं शर्तों का पालन करेगा तथा साथ ही उसे कीटनाशक का व्यापार करने के परिसर का किराया दस्तावेज अथवा स्वामित्व दस्तावेज अथवा किराया रसीद साथ में प्रस्तुत करनी होगी।
लाइसेंस जारी करने अथवा उसका नवीकरण करने के लिए प्रति कीटनाशक रुपए 20 का शुल्क देना होगा, जो की अधिकतम रुपए 300 होगा।